The best Side of Shodashi

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

She's honored by all gods, goddesses, and saints. In a few places, she is depicted carrying a tiger’s pores and skin, by using a serpent wrapped all-around her neck and also a trident in one of her arms although the opposite retains a drum.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

It is actually an working experience with the universe in the unity of consciousness. Even within our standard condition of consciousness, Tripurasundari would be the natural beauty that we see on the globe around us. Whatever we understand externally as gorgeous resonates deep in.

यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

Within the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the form of mom is sitting down with folded legs (Padmasana) eliminates all the sins. And fulfils each of the wishes with her 16 sorts of arts.

This Sadhna evokes innumerable rewards for all round financial prosperity and steadiness. Growth of company, identify and fame, blesses with extensive and prosperous married daily life (Shodashi Mahavidya). The outcomes are realised instantly once the accomplishment with the Sadhna.

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

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संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi

॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान Shodashi हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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